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बस्तर की समृद्ध जनजातीय संस्कृति,आस्था और विरासत के संरक्षण-संवर्धन एवं परिरक्षण में समाज प्रमुखों की अहम भूमिका : कमिश्नर बस्तर

जगदलपुर
बस्तर अंचल की समृद्ध जनजातीय संस्कृति, आस्था और विरासत के संरक्षण-संवर्धन एवं परिरक्षण के लिए समाज प्रमुख आगे आकर सार्थक प्रयास कर रहे हैं। जिससे भावी पीढ़ी सीखने-समझने के साथ ही अपनी समृद्ध धरोहर के संरक्षण तथा नवीन अन्वेषण की दिशा में प्रेरित होगी। समाज प्रमुखों को इस ओर भावी पीढ़ी को निरन्तर प्रोत्साहित करना होगा ताकि यह आने वाली पीढ़ियों को हस्तांतरित हो सके। उक्त बात कमिश्नर बस्तर संभाग श्याम धावड़े ने मंगलवार को बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण कार्यालय में बस्तर अंचल के समाज प्रमुखों को बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित पुरखती कागजात पुस्तक सहित बस्तर के 06 जनजातीय समुदायों से सम्बंधित सामाजिक ताना-बाना किताबें समाज प्रमुखों को प्रदान करते हुए कही। उन्होंने उक्त पुस्तकों के लेखन हेतु दिए गए सक्रिय सहयोग तथा भूमिका निभाने के लिए समाज प्रमुखों एवं अन्य सदस्यों के प्रति आभार जताया। इस मौके पर कमिश्नर बस्तर संभाग श्याम धावड़े ने पुरखती कागजात पुस्तक और सामाजिक ताना-बाना किताबों का समाज प्रमुखों एवं सदस्यों से अध्ययन कर देवी-देवताओं, पूजा विधान,सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ ही वीर वीरांगनाओं के बारे में अन्वेषण कर अपने बहुमूल्य सुझाव देने का आग्रह किया। इस दौरान समाज प्रमुखों ने बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित पुरखती कागजात पुस्तक सहित बस्तर के 06 जनजातीय समुदायों से सम्बंधित सामाजिक ताना-बाना किताबों के लिए कमिश्नर एवं सदस्य सचिव बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण श्याम धावड़े के अथक प्रयासों को सराहनीय योगदान निरूपित करते हुए इन किताबों को बस्तर अंचल के लिए ऐतिहासिक देन रेखांकित किया। इस दौरान अवगत कराया गया कि उक्त सभी पुस्तकें बस्तर विश्विद्यालय और शासकीय कॉलेजों सहित बस्तर संभाग के सभी जिलों के जिला ग्रंथालयों में अध्ययन के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही छात्र-छात्राओं, अध्येताओं, शोधकर्ताओं और जनजातीय समाजों के संस्कृति, आस्था, धरोहर एवं जीवन शैली के बारे में रूचि रखने वाले लोगों की उपयोगिता के दृष्टिकोण से स्थानीय निजी पुस्तक एवं स्टेशनरी प्रतिष्ठानों में उपलब्ध होगी। इस दौरान उपायुक्त श्रीमती माधुरी सोम, पुस्तकों के लेखन से जुड़े स्थानीय लोक साहित्यकार एवं रचनाकार और कमिश्नर कार्यालय के अन्य अधिकारी-कर्मचारी मौजूद थे।

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